विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 36)
विस्तार की आँखे बंद होती ही जा रही थी, उसका मन व्याकुलता से बुरी चीख रहा था। एक काला साया उसकी तरफ तेजी से बढ़ता जा रहा था परन्तु इससे पहले वह उसे देख पाता, उसका सिर भी उन मृत खोपड़ियों के उस नरक में डूब चुका था। पैरों में लिपटी हुई जीवित अंतड़ियों ने उसपर अपना कसाव और अधिक बढ़ा दिया। उसके सम्पूर्ण शरीर पर दबाव बढ़ता ही जा रहा था, अब विस्तार की हालत बहुत अधिक दयनीय हो चुकी थी। उसने हाथ-पांव मारने की कोशिश की पर उससे उसके अंग हिलाए तक न जा रहे थे। वह बुरी तरह से डर से गया था, फिर भी अपने डर को छिपाने की लगातार कोशिश कर रहा था। परन्तु स्थितिआ अब और भी भयानक होती जा रही थी, विस्तार जोर जोर से चीखना चाहता था, रोना चाहता था पर अब उसके शरीर ने उसका साथ देने से बिल्कुल इंकार कर दिया था।
थोड़े समय के लिए उसकी आंखें बंद हुई अब वह अलग ही दुनिया में जा पहुंचा था, यहां वह असंख्य खोपड़ियों के बीच नही घिरा हुआ था फिर भी उसे ऐसा लग रहा था मानो वह हजारों हाथियों के पांव तले कुचला जा रहा हो, उसका हिलना-डुलना भी दुश्वार हो रहा था। वातावरण में अजीब तरह का गाढ़ापन था, यहां की वायु एक ही स्थान पर ठहरी हुई तथा अत्यधिक भारी महसूस हो रही थी। दूर से कुछ पदचापों के स्वर सुनाई दे रहे थे जो धीरे धीरे बढ़ते ही चले गए।
"हम सबकी इस दशा के जिम्मेदार तुम हो विस्तार! तुमने हमें इस नरक में धकेला है।" दूर कहीं से एक साथ कुछ भयानक स्वर उभरे। ऐसा लग रहा था मानो बोलने वाला अत्यिधक क्रोध में हो जिसके कारण वह जोर जोर से रो भी रहा हो।
"तुमने हमारी हत्या की है, हम सब निर्दोष थे पर तुमने हमपर दया नही किया। तुम मद में चूर शक्तिशाली सिंह की भांति हमें कुचलते हुए चले गए, तुमने मारा है हमें! तुमने मारा है!" अचानक ही स्वरों की संख्या बढ़ती चली गयी और मन-मस्तिष्क से असहनीय पीड़ा सह रहे विस्तार के हृदय को भेदने लगी। विस्तार अब भी बोलने की स्थिति में नही था।
"तुम हत्यारे हो ब्रह्मेश! तुमने हत्या की है हमारी। हमारे स्वप्नों, हमारे इच्छाओं का गला घोंटा है तुमने!" विस्तार को अपने बिल्कुल पास से स्वर आते दिखाई दिया, उसने देखा वह चारों ओर से कई मानवकद आकृतियों से घिरा हुआ था, जो सभी उसपर बुरी तरह से दोषारोपण कर रहे थे। विस्तार को अचानक ध्यान आया कि इनमें से किसी को उसे उसके वास्तविक नाम से कैसे पुकारा, वह कौन होगा यह सोचते ही विस्तार की रूह सिहर गयी।
एक वृद्ध उसकी ओर बढ़ता गया, उसके शरीर के आधे अंग बाहर दिखाई दे रहे थे, आंखे बाहर लटकी हुई, अंतड़िया शरीर से बाहर झूलती हुई और आधे शरीर पर त्वचा का नामोनिशान तक न था। यह सब ठीक वैसे ही दिखाई दे रहा था जैसे इन मृत कपालों में डूबने से पूर्व बाहर की स्थिति थी। विस्तार उस वृद्ध को देखते ही डर के मारे गिर गया, वह वृद्ध उसकी ओर बढ़ता रहा साथ ही उन असँख्य आकृतियों की भीड़ उसकी ओर बढ़ती जा रही थी। विस्तार डर के मारे पीछे की ओर सरकते हुए एक खाई तक आ पहुँचा, यहां से उसे चारों ओर सिर्फ और सिर्फ लहू ही दिखाई दे रहा था जो सूखकर काला पड़ता जा रहा था।
"तुमने ऐसा क्यों किया ब्रह्मेश!" वह वृद्ध उसके बिल्कुल ही पास आ चुका था। विस्तार के बदन से डर के मारे पसीना छूट रहा था, उसकी कोई भी शक्ति कार्य नही कर रही थी। "मैंने तुम्हें पुत्रतुल्य समझा, तुम्हें स्वयं से अधिक प्रेम किया, फिर भी तुमने ऐसा क्यों किया?" वृद्ध का एक-एक शब्द विस्तार की अन्तरात्मा को चीरते हुए गुजर रहा था।
"म...मैं….मैं..ने….मैंने क्या किया?" विस्तार काँपते हुए बोला, उसके हलक से बोल नही फूट रहे थे।
"अनजान न बनो ब्रह्मेश! मेरी लाख कोशिशों के बाद भी तुम नही माने और इस दुनिया में चले आये, तुमने सबकुछ समाप्त कर दिया।" उस वृद्ध के स्वर में भीषण क्रोध झलक रहा था, विस्तार उसका सामना कर सकने में असक्षम हो रहा था।
"प..पर मुझे तो आपने ही अनुमति दी थी।" विस्तार डर के मारे चीख पड़ा, उसके हाथों और पैरों से खून रिस रहा था।
"झूठ मत बोलो ब्रह्मेश! मैंने तुम्हें कभी अनुमति नही दी, तुम अपनी इच्छा से भागकर गए और इस संसार को इस आग में झोंक दिए, आज तुम मुझपर दोषारोपण कर रहे हो?" वृद्ध की आवाज सुनकर सभी सन्न रह गए, वह विस्तार के और पास आते गया। विस्तार से यह सब बर्दाश्त नही हो रहा था, उन लटकती आँखों को देखकर सिहर गया था, ये वो आंखे थी जिनमे उसने स्वयं के लिए प्रेम के अतिरिक्त कोई अन्य भाव न देखे थे आज क्रोध से जल रही लटकती आँखों को देखकर कुछ सहन कर पाने की स्थिति में नही रहा।
"तो आपने जो कहानी सुनाई उसका क्या?" विस्तार हैरान था, परेशान था। अन्य आकृतियों के चेहरे देखते ही रही सही कसर भी पूरी हो गयी।
"मैंने तुम्हें कभी कोई कहानी नही सुनाई है ब्रह्मेश! झूठ मत बोलो।" उन झूलती आंखों में काला लहू उतरने लगा, ब्रह्मेश कभी उस वृद्ध को देखता तो कभी उसके आसपास खड़े सभी वीभत्सक आकृतियों को।
शिल्पी, जय, शिवि, आँसू, केशव, अमित उसकी ओर बढ़े आ रहे थे, वे अब भी उसी अवस्था में थे जिस अवस्था में मृत्यु को प्राप्त हुए थे, विस्तार अपने दोस्तों की ऐसी हालत देखकर रो पड़ा था। उसकी सांसे अटकने लगी थी। सभी के चेहरे बहुत ही भयानक और वीभत्स लग रहे थे।
"नाटक मत करो विस्तार! मैंने सिर्फ तुमसे प्रेम किया था और तुमने क्या किया हमारे साथ?" शिल्पी, विस्तार की ओर बढ़ती चली गयी, विस्तार अब पीछे भी नही सरक सकता था उसने अपनी आंखें बंद करने की कोशिश की परन्तु उसकी पलको ने झपकने से इनकार कर दिया था। विस्तार जड़ हो चुका था, आँसू, शिवि, केशव, जय, अमित सब उसपर बुरी तरह बरस रहे थे उसके पास किसी का कोई उत्तर नही था। उसके हृदय की गति धीरे-धीरे शून्य होती जा रही थी।
"तुमने तो मुझे भी अंधेरे के हवाले कर दिया विस्! कभी सोचा होता कि मेरे बिन मेरे परिवार का क्या होगा?" एक ओर से अमन, विस्तार की ओर बढ़ता आ रहा था। उसके चेहरे पर कालिख सा पुता हुआ था, आंखे बिल्कुल बन्द थी, वह बस काली परछाई के समान दिख रहा था, पर उसके स्वर में जैसे हजारों नुकीले कांटे छिपे हुए हो, विस्तार स्वयं को संभाल पाने में असमर्थ था।
"हम सबको मारा है तुमने विस्तार! अब दुनिया को बचाने ढोंग क्यों कर रहे हो?" सभी विस्तार की ओर बढ़ते हुए बहुत ही क्रूर व्यंग्यात्मक हँसी हँसते हुए बोलते जा रहे थे। बोलने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही थी, विस्तार की सहन क्षमता समाप्त होती जा रही थी, वह अंदर से बुरी तरह टूट चुका था फिर भी किसी तरह स्वयं को इन सब से उबारने की कोशिश कर रहा था।
"हाँ! मैने खत्म कर दिया सबकुछ अपने ही हाथों से! अब इस सम्पूर्ण संसार में मेरा कोई नही है। मेरे माता-पिता ने मेरे जन्म के ही दिन मुझे छोड़कर चले गए। मेरे दोस्तों को मैने अपने इन्ही हाथो से मार डाला, मुझे लगा आचार्य और त्रयी महाशक्तियों से मेरा कोई रिश्ता है पर सच्चाई ये है कि इस दुनिया में मेरा कोई नही! मुझे डार्क फेयरीज़ ने बताया कि मुझे जो पूर्वजन्म की कहानी सुनाई गई वो आधी झूठी है, मेरा किसी से कोई रिश्ता नही बचा है। मैं आप सब का अपराधी हूँ, मुझे मेरी मृत्यु स्वीकार्य है।" विस्तार जोर-जोर से चीखने लगा। "भले ही इस सारी दुनिया में मेरा अपना कोई नही हो, भले ही मैं दुनिया की दृष्टि में एक हत्यारा ही रहूँ पर मुझे इस बचाना है। इसे सुरक्षित करने से पहले मैं नही मर सकता।" विस्तार अब भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। धीरे-धीरे सभी आकृतियां धूल बनकर अदृश्य होने लगी, विस्तार अब भी लगातार चीखें जा रहा था। एक-एक करके सारी आकृतियां अदृश्य होती गईं, वह भयानक स्थान धीरे-धीरे सामान्य रूप में परिवर्तित होने लगा। विस्तार ने स्वयं के अंदर इक नव ऊर्जा के संचार को महसूस किया। वह सभी को गायब होते देख रहा था, आसपास के दृश्यों में सकारात्मक बदलाव आ रहे थे। उसकी आँखों से आंसुओ की धार बह रही थी, भले ही अंधकार के वश में होकर ही सही परन्तु उसने अपने सभी साथियों को बेरहमी से मौत के घाट उतारा तो था।
आंसुओ से उसका चेहरा भीग रहा था, जिस कारण वह जग गया, वह चट्टान और मिट्टी के नीचे दबा हुआ था, एक छोटे प्रयास से ही वह बाहर निकल आया। उसके सीने पर ओमेगा चिन्ह धीमे-धीमे दीप्तित हो रहा था। अब विस्तार को समझ आ रहा था कि उसके साथ कुछ किया गया था जिसके कारण वह एक ऐसी दुनिया में पहुँच चुका था जहां से जीवित लौट पाना असंभव था। हो न हो ये डार्क गार्ड्स से युध्द के बाद ही हुआ था यानी जो कुछ हुआ उसके पीछे डार्क लीडर या ग्रेमन का हाथ था।
शायद विस्तार की इच्छाशक्ति और सच को स्वीकार कर सकने की क्षमता ने ही इसे उस भयानक संसार से उबार कर बाहर निकाल लिया। परन्तु अपने कृत्यों को याद कर विस्तार अब स्वयं को काफी कमजोर महसूस कर रहा था।
"डार्क फेयरीज़ न कहा था कि वे मेरी बहन नही हैं। आचार्य ने कहा वो मेरी ही बहन हैं, परन्तु अब ये सवाल और उलझ चुका है। कोई भी सामान्य मनुष्य लगभग 1500 वर्षो तक जीवित नही रह सकता। और जहां तक मुझे याद है आचार्य कभी भी स्वयं के लिए प्राकृतिक नियमों के विरुद्ध नही जा सकते। हो सकता है शायद उन्होंने मुझे रोका था, बस धुंधली सी छाया दिखाई दे रही है मुझे, फिर इन आचार्य ने मुझसे झूठ क्यों बोला? इससे भला किसी को क्या लाभ होगा कि पूर्वजन्म में मैं आचार्य के इच्छा के विरुद्ध भागकर नही बल्कि उनकी इच्छा से जाकर विस्तार शक्ति को धारण किया था, मुझे कुछ समझ नही आ रहा है और सिर भी बहुत अधिक चकरा रहा है।" स्वयं से ही बातें करते हुए विस्तार उसी पहाड़ी पर पसर सा गया, उसकी अभी अभी जागृत हुई नवचेतना पुनः सुप्त होने लगी।
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क्रमशः...
Farhat
25-Nov-2021 06:38 PM
Good
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Niraj Pandey
09-Oct-2021 12:29 AM
जबरदस्त बहुत ही जबरदस्त👌👌
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Seema Priyadarshini sahay
07-Sep-2021 04:13 PM
वाह बहुत ही खूबसूरत
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